दोस्तों अगर आप एकादशी का व्रत करना चाहते हैं.और आप जानते हैं की आने वाली एकादशी कोनसी हैं.और इसे कैसे मनाना हैं.तो ये बहुत अच्छी बात हैं.लेकिन अगर आप नहीं जानते की इस माह की आने वाले एकादशी 22 मई 2017 को अपरा एकादशी के रूप में मनाई जायगी.तो चिंता की कोई बात नहीं हैं. आज आपको ज्ञात हों जायेगा की “अपरा एकादशी” का अर्थ क्या हैं?इसके क्या फायदे हैं और इसे क्यों मनाया जाता हैं आदि.
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Apara ekadashi ka arth kya hai ? or apara meaning in sanskrit
अपरा एक संस्कृत का शब्द हैं.जिसका अर्थ हैं “कम”,”अवर”, “असीम” होता हैं इसके अलावा इसका अर्थ “परे कुछ भी नहीं होने” और “बाद में” होता हैं.
एकादशी कब है और क्या हैं ? अपरा एकादशी हिन्दुओ के लिए उपवास का दिन होता हैं.जैसा की हर एकादशी में होता हैं.इस दिन भगवान् विष्णु को पूजा जाता हैं.यह हिन्दू पंचांग के ज्येष्ठा माह के क्रिशन-पक्ष में हैं.हर एकादशी की तरह ये भी भगवान् विष्णु को समर्पित होती हैं.
what are the Apara ekadashi vrat benefits ? or ekadashi ke fayde
एकादशी का महात्म्य: जो मनुष्य अपरा एकादशी का व्रत करता हैं.वह भ्रूण हत्या ,
ब्रह्म हत्या,
व्यभिचार( अडुल्टेरी),
विभिन्न पाप कर्म जैसे झूठ बोलना,
परनिंदा(इन्सुल्टिंग ऑफ़ समवन इन थे एब्सेंस ऑफ़ तहत पर्सन),
धोखा देना,
झूठी गवाही देना,
वेदो की निंदा करना ,
जोय्तिष वीधा से लोगो को छलना,
कम सामान तोलना ,
गुरुनिंदा करना ,
क्षेत्रीय हों कर भी क्षेत्र से युद्ध से भागना,
पीपल के वृक्ष को काटना आदि दोषो से मुकत हों जाता हैं.उसे बुरे कर्मो से मुक्ति मिलती हैं.क्योंकी ये व्रत पापरूपी वृक्ष को काटने वाली कुल्हाड़ी हैं.अंत: उपवास करने वाला मोक्ष को प्राप्त करके स्वर्ग-लोक को जाता हैं.
इसके अलावा पुत्र,धन ,संपदा के साथ उसकी समस्त मनोकामनाए भी वर्त करने से पूरी होती हैं.येही वजह हैं. की इसे बहुत पुण्ये देने वाला व्रत माना गया हैं!
जिस प्रकार मकरसंक्रांति पर,
माघ मास में प्रयाग में ,
कार्तिक की पूर्णिमा पर तीनो पुष्कर -स्नान करने से ,
काशी में शिवरात्री के उपवास से ,
कुंभ में श्री केदारनाथ के दर्शन से,
गया में पितरो के पिंडदान देने से जो पुण्ये फल प्राप्त होता हैं.वह सब अपरा एकादशी का व्रत करने से मिलता हैं.इसलिए इसे अपार फल देने वाली एकादशी भी कहते हैं. तो ये थी importance of ekadashi
अपरा.अब जानते हैं एकादशी की कहानी के बारे में.
अपरा एकादशी व्रत कथा क्या हैं? / jaaniye apara ekadashi vrat kathas hindi mei
इस fasting story या vrat katha का उल्लेख श्री ब्रम्हांड-पुराण में इस प्रकार किया गया हैं –
प्राचीनकाल में महिध्वज नाम का एक राजा था! जिसका वर्तध्वज नामक छोटा भाई बड़ा ही अधर्मी था! वह अपने बड़े भाई से इर्ष्या-द्वेष रखता था . और अपने बड़े भाई को हानि पहुचाने का अवसर तलाश करता रहता था.
एक दिन बड़े भाई महिध्वज को अकेला पा कर.उनकी हत्या करदी.और शव को एक पीपल के वृक्ष के निचे गाढ़ दिया! वह राजा (महिध्वज) उस वृक्ष पर प्रेत के रूप में रहने लगा.और अनेक प्रकार से उत्पात मचाने लगा.
एक दिन उस पीपल के वृक्ष के पास से,धौम्ये ऋषि गुजरे.तो उन्होंने अपने तपोबल से प्रेत के कारनामे और उसकी कधा जानी .
धौम्ये ऋषि ने राजा महीध्वज को नीचे बुलाकर कहा. की तुम्हारे पूर्वजन्मो के पापकर्मो के कारन तुम्हारी हत्या हुई.और प्रेतयोनि मिली हैं.
यदि तुम इससे मुक्ति चाहते हों.तो ज्येष्ठ मास की कृष्णपक्ष की अपरा एकादशी का व्रत रखो.
महीध्वज ने वैसा ही किया.और उपवास करने से उसे प्रेत योनि से छुटकारा मिला. और फिर से दिव्ये शरीर पाकर अंत में मोक्ष को प्राप्त हुआ.
ekadashi ke din kya karna chahiye?
इस दिन प्रातकाल दैनिक कार्यो से मुक्त हों कर. स्वच्छ जल से स्नान करे.और उपवास रखकर .भगवन विष्णु की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराकर. स्वच्छ वस्त्र अर्पण करे.फिर चन्दन का तिलक लगाए.
प्रतिमा के पास धुप-दीप जलाकर.तुलसीदल ,पुष्पादि चढ़ाकर.विधि -विधान से पूजा करे.
फिर उपवास में फलाहार ले.
ब्राह्मणो को भोजन करा के.दान -दक्षिणा दे.और आशीर्वाद प्राप्त करे.
रात्रि में भजन-कीर्तन का आयोजन करे!