
Amalki Ekadashi
फाल्गुन शुक्ल एकादशी 26 फरवरी को है। इस एकादशी को पद्मपुराण में आमला एकादशी (amalki ekadashi) कहा गया है, इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. भगवान् विष्णु को आमला अर्थात आंवले का वृक्ष बहुत प्रिय हैं, आमले के वृक्ष की उत्पत्ति नारायण के श्री मुख से मानी जाती हैं. पीपल के समान आंवले के वृक्ष को भी पूजनीय माना जाता हैं. आंवले के वृक्ष में भी देवताओ का वास माना जाता हैं.आंवले का वृक्ष भी गंगा के समान पवित्र बताया गया हैं.
Amalki Ekadashi Vrat Vidhi
आमलकी एकादशी (amalki ekadashi) वाले दिन भगवन विष्णु की प्रतिमा के समक्ष जल , तिल,मुद्रा लेकर संकल्प करें हे विष्णु भगवन में आपकी कृपा और मोक्ष की इच्छा से आमलकी एकादशी का व्रत कर रहा हूँ , श्री हरि आप मुझे अपनी शरण में रखिये जिससे मेरा व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो. श्री हरि की पूजा के पश्च्यात पूजन सामग्री आंवले के वृक्ष के चारो ओर की भूमि को साफ़ कर गोबर से पवित्र करें और फिर एक वेदी बनाकर उसके ऊपर कलश स्थापित करें
कलश देवो सागर और तीर्थो का आवाहन करें ,और फिर उसमे पंच रत्न रखकर उसके ऊपर पंच पल्लव रखकर दीप प्रज्वल्लित करें इसके बाद श्रीखंड चन्दन का लेप कर वस्त्र पहनाये. और कलश के ऊपर भगवन विष्णु के अवतार श्री परशुराम की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित करें विधिवत पूजा करें और रात्रि में भगवद भजन करते हुए अगले दिन ब्राह्मणो को भोजन कराकर दक्षिणा दे और परशुराम की प्रतिमा ब्राह्मण को दान करें. इसके बाद ही व्रत का परायण करते हुए अन्न जल का ग्रहण करें.
Amalki Ekadashi Importance
आमलकी एकादशी(amalki ekadashi) का व्रत का पुण्य गौ दान के समक्ष माना जाता हैं. श्री हरि का यह व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला और मृत्यु पश्च्यात बैकुंठ में स्थान दिलाता हैं.इस व्रत को करने से पुण्य तीर्थस्थानों की यात्रा के जितना पुण्य मिलता हैं.
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