
सितंबर का महीना गणपति के भक्तों के लिए बहुत ही खास है क्योंकि इसी महीने की 5 तारीख को गणेश चतुर्थी है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से विघ्नहर्ता गणेश भक्तों के सारे विघ्न हरते हैं और जीवन में सुख समृद्धि लाते है. इस अवसर पर अगर आप गणेश मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो इन 9 गणेश मंदिर के दर्शन करें क्योंकि इनके दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जो भक्त किसी कारण से इन मंदिरों के दर्शन नहीं कर सकते वह सिर्फ इनका ध्यान हर दिन करें तो जीवन में आने वाली सारी बाधाएं दूर होगी. तो आइये दर्शन करें भारत उन चमत्कारी गणेश मंदिरों के जहां हर किसी की झोली भरते हैं गजमुख गणेश.
1. श्री मयूरेश्वर मंदिर – दर्शन कीजिए अष्टविनायकों में से पहले विनायक मयूरेश्वर के. महाराष्ट्र के पूणे से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर मोरे गांव में गणेश जी का यह मंदिर है. कथा है कि यहां पर मूषक की सवारी करने वाले गणेश जी ने मयूर पर चढ़कर सिंधुरासुर का वध किया था इसलिए यहां गणेश जी मयूरेश्वर कहलाते हैं. यहां मंदिर के द्वार पर शिव जी का वाहन नंदी भी विराजमान है. इस विषय में भी एक रोचक कथा है कि एक बार देवी पार्वती के साथ भगवान शिव और नंदी यहां पधारे. लेकिन जब जाने की बारी आयी तो नंदी ने जाने से मना कर दिया. नंदी महाराज का इस तीर्थ स्थान में मन लगने के कारण यहां उन्हें द्वारपाल के रूप में स्थान दिया गया है.
2. सिद्धिविनायक गणपति – ये हैं भक्तों की रिद्धि सिद्धि पूर्ण करने वाले पूणे से करीब 200 किलोमीटर दूर भीम नदी के तट पर बसे यह हैं सिद्धि विनायक. मान्यता है कि यहां पर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी और गणेश जी ने दर्शन देकर भगवान विष्णु को सिद्धियां प्रदान की थी. इसलिए भगवान विष्णु ने यहां पर गणेश जी के मंदिर का निर्माण करवाया था. मान्यता है कि गणेश जी यहां अपने भक्तों को रिद्धि सिद्धि प्रदान करते हैं. इस मंदिर एक और खूबी है कि यहां बहने वाली भीमा नदी का प्रवाह तेज है फिर भी नदी का शोर नहीं है.
3. श्री बल्लालेश्वर मंदिर – अपने भक्त बल्लाल की भक्ति से प्रकट हुए बल्लालेश्वर विनायक. मुंबई पूणे राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली में स्थित गणेश जी के मंदिर के बारे में कथा है कि इनके भक्त बल्लाल ने एक बार गणेश पूजन का आयोजन किया. गांव के बहुत से बच्चे पूजन में शामिल होकर ऐसे मग्न हो गए कि उन्हें घर जाने का होश ही नहीं रहा. बच्चों के माता-पिता को बल्लाल पर बहुत क्रोध आया और गणेश जी मूर्ति के साथ उन्हें जंगल में फेंक दिया. बेहोशी की हालत में भी बल्लाल अपने प्रभु गणेश जी को याद करता रहा. भक्त की भक्ति देखकर गणेश जी ने दर्शन दिए तो भक्त ने कहा कि आप मेरे साथ यहीं पर निवास करें. भक्त की इच्छा का सम्मान करते हुए गणेश जी यहां पर विराजमान हो गए.
4. श्री वरदविनायक – महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में महाड़ गांव में स्थित यह हैं वरद विनायक अपने नाम के अनुसार यह विनायक भक्तों को वरदान देने वाले हैं यानी उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं. इनके मंदिर में एक दीप जलता है जिसका नाम है नन्ददीप. कहते हैं यह दीप वर्षों से निरंतर जलता चला आ रहा है.
5. चिंतामणि गणपति – यह हैं चिंतामणी गणेश. कहते हैं कि चिंता में डूबे ब्रह्मा जी ने यहां पर गणेश जी आराधना की थी इसलिए यहां विनायक चिंतामणी कहलाते हैं. भक्तों की ऐसी धारणा है कि जीवन में किसी भी तरह की परेशानी चल रही हो तो यहां विनायक के दर्शन मात्रा से समस्या का समाधान हो जाता है और चिंताओं से मुक्ति मिलती है. एक अन्य कथा के अनुसार कपिल मुनि ने गणेश जी के चोरी हुए कीमती मणि को वापस लाकर गणेश जी के गले में डाला था इसलिए यहां गणेश चिंतामणि कहलाते हैं.
6. श्री गिरजात्मज गणपति मंदिर – पुणे नासिक राजमार्ग पर पुणे से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर एक गुफा में स्थित है. इस मंदिर में गणेश जी की पूजा माता गिरिजा यानी देवी पार्वती के पुत्र के रूप में होती है. इस मंदिर का निर्माण एक बड़े से पत्थर को काटकर किया गया है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही आपको विनायक की भव्यता और कृपा की अनुभूति होने लगती है.
7. विघनेश्वर गणपति मंदिर – अष्ट विनायकों में से सातवें विनायक हैं विघ्नेश्वर गणपति. महाराष्ट्र के ओझर जिले में स्थित गणेश जी के इस मंदिर की कथा है कि यहां पर एक असुर रहता था जिसका नाम था विघ्नासुर जिसने साधु संतों को परेशान कर रखा था. साधुओं की आराधना पर गणेश जी प्रगट हुए और इन्होंने असुर का अंत किया. कहते हैं यहां विघ्नेश्वर के दर्शन मात्र से सभी विघ्न बाधाएं दूर हो जाती है.
8. महागणपति – अष्ट विनायकों में ये हैं आठवें विनायक हैं महागणपति. महाराष्ट्र के राजनांदगांव में स्थित इस मंदिर के बारे में कथा है कि यहां पर त्रिपुरासुर का वध करने से पहले भगवान शिव ने गणेश जी की पूजा की थी.