
उर्मिला से जुड़े 8 अनसुनी बाते
हम बचपन से ही रामायण की कथा सुनते आये है, अभी तक हम रामायण की कथा प्रभु राम के दृष्टिकोण से देखते, सुनते एवं पढ़ते आये है. रामायण की कथा में हमने भगवान राम के प्रति लक्ष्मण का आदर एवं त्याग देखा, माता सीता का पतिव्रता तथा निश्छल प्रेम देखा, हनुमान जी की अटूट भक्ति देखि तथा लंका नरेश रावण के ज्ञान के बारे में जाना.
परन्तु हमने कभी भूल से भी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया की बगैर किसी अपराध के 14 वर्ष तक अपने से पति से दूर रहना का कष्ट सहती आई तथा रामायण का उपेक्षित एवं अनदेखा पात्र कहलाने वाली थी लक्ष्मण की पत्नी तथा माता सीता की छोटी बहन उर्मिला.
जब भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता के साथ वनवास को जा रहे थे तब उनके अनुज लक्ष्मण के बड़े आग्रह पर उन्हें भी प्रभु श्री राम के साथ वनवास जाने की आज्ञा मिली.
{भगवान श्री राम के जीवन से जुड़े ऐसी अद्भुत बाते}
उर्मिला ने जब अपने पति लक्ष्मण के भगवान राम और माता सीता के साथ वनवास जाने की सुचना सुनी तो वो भी लक्ष्मण से उनके साथ वनवास जाने की जिद करने लगी.
तब लक्ष्मण ने उर्मिला को बहुत समझाया तथा कहा की हे! प्रिये इस राज्य तथा माताओ को तुम्हारी आवश्यकता है.
असीम पतिव्रता थी उर्मिला :-
अपनी धर्म पत्नी उर्मिला के कंधो पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी डालकर लक्ष्मण वन को चले गये, वो पल, जीवन सारिता जो कोई नवविवाहित पत्नी अपने पति के साथ व्यतीत करती है वह सब कुछ उर्मिला से छिन्न गया था.पतिव्रता पत्नी ने अपने जीवन के चंचल पड़ाव में भी, अपने पति से दूर होने के बावजूद लेशमात्र भी किसी अन्य का ध्यान तक नहीं किया.
यह उर्मिला के अखण्ड पतिव्रता होने का सबूत था फिर भी उर्मिला की यह महानता अवर्णित, अचर्चित तथा अघोषित ही रही. उर्मिला के पतिव्रता , स्नेह, अखंडता, त्याग आदि के गुणों का रामायण की कथा में कोई भी जिक्र नहीं हुआ है.
उर्मिला ने हर हाल में निभाया अपने पति को दिया वचन :-
कठिन से कठिन एवं जटिल परिस्थितियों में भी उर्मिला ने आंसू की एक बून्द तक अपने आँखों में नहीं आने दी क्योकि उन्होंने अपने पति लक्ष्मण को वनवास जाते समय यह वरदान दिया था की वह रोयेंगी नहीं. क्योकि अगर वो अपने दुखो में डूबी रहती तो परिवार का ध्यान कौन रखता.
दशरथ के मृत्यु के समय भी नहीं रोइ थी उर्मिला :-
यह कितना कष्टकारी पल होता है एक नवविवाहित स्त्री के लिए की अपने विवाह के बाद ही अपने पति को अपने से दूर भेजना . कितना हृदयविदारक पल था वो जब अपने परम पूज्य ससुर जी के अर्थात राजा दशरथ की मृत्यु को अपने आँखो के सामने देखना तथा उसके बाद भी अपने पति को दिए वचन के कारण उर्मिला आंसू न बहा पाई.
पति के लिए किया पिता को इंकार :-
पति लक्ष्मण के वनवास जाने तथा राजा दशरथ के गुजर जाने के बाद एक बार राजा जनक अपनी पुत्री उर्मिला को मिथला लेने के लिये आये थे. ताकि माता व अपनी सखियो के साथ रहकर वह अपने दुखो को भूल सके परन्तु उर्मिला ने अपने पिता से मिथला जाने के लिए यह कहते हुए मना कर दिया की अपने पति के परिजनों के संग में रहना तथा दुःख की इस घडी में उनका साथ न छोड़ना अब यही उसका धर्म है.
चौदह वर्षो तक न सोना :-
चौदह वर्षों तक सोती रहीं बहुत से लोग इस बात से परिचित हैं कि अपने वनवास के दौरान भाई और भाभी की सेवा करने के लिए लक्ष्मण पूरे 14 साल तक नहीं सोए थे. उनके स्थान पर उनकी पत्नी उर्मिला दिन और रात सोती रहीं. लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण की बेटे मेघनाद को यह वरदान प्राप्त था कि जो इंसान 14 वर्षों तक ना सोया हो केवल वही उसे हरा सकता है.
निद्रा देवी को दिया था वचन :-
इसलिए लक्ष्मण मेघनाद को मोक्ष दिलवाने में कामयाब हुए थे. रावण के अंत और 14 वर्ष के वनवास के पश्चात जब राम, सीता और लक्ष्मण वापस अयोध्या लौटे तब वहां राम के राजतिलक के समय लक्ष्मण जोर-जोर से हंसने लगे. सभी को ये बात बेहद आश्चर्यजनक लगी कि क्या लक्ष्मण किसी का मजाक उड़ा रहे है.
जब लक्ष्मण से इस हंसी का कारण पूछा तो उन्होंने जो जवाब दिया कि ताउम्र उन्होंने इसी घड़ी का इंतजार किया है लेकिन आज जब यह घड़ी आई है तो उन्हें निद्रा देवी को दिया गया वो वचन पूरा करना होगा जो उन्होंने वनवास काल के दौरान 14 वर्ष के लिए उन्हें दिया था.
लक्ष्मण ने नहीं देखा भगवान राम का राजतिलक :-
दरअसल निद्रा ने उनसे कहा था कि वह 14 वर्ष के लिए उन्हें परेशान नहीं करेंगी और उनकी पत्नी उर्मिला उनके स्थान पर सोएंगी. निद्रा देवी ने उनकी यह बात एक शर्त पर मानी थी कि जैसे ही वह अयोध्या लौटेंगे उर्मिला की नींद टूट जाएगी और उन्हें सोना होगा. लक्ष्मण इस बात पर हंस रहे थे कि अब उन्हें सोना होगा और वह राम का राजतिलक नहीं देख पाएंगे. उनके स्थान पर उर्मिला ने यह रस्म देखी थी.
लक्ष्मण की विजय का कारण था उर्मिला का पतिव्रत :-
एक और वाकया ऐसा है जो यह बताता है की लक्ष्मण की विजय का मुख्य कारण उर्मिला थी. मेघनाद के वध के बाद उनका शव राम जी के खेमे में था जब मेघनाद की पत्नी सुलोचना उसे लेने आयी, पति का छिन्न शीश देखते ही सुलोचना का हृदय अत्यधिक द्रवित हो गया.
उसकी आंखें बड़े जोरों से बरसने लगीं. रोते-रोते उसने पास खड़े लक्ष्मण की ओर देखा और कहा- “सुमित्रानन्दन, तुम भूलकर भी गर्व मत करना की मेघनाद का वध मैंने किया है. मेघनाद को धराशायी करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी. यह तो दो पति व्रता नारियों का भाग्य था.
अब आप सोच में पड़ गये होंगे कि निद्रा देवी के प्रभाव में आकर अगर उर्मिला 14 साल तक सोती रहीं, तो सास और अन्य परिजनों की सेवा करने का लक्षमण को किया वादा उन्होंने कैसे पूरा किया. तो उसका उत्तर भी सीधा है. वो यह कि सीता माता ने अपना एक वरदान उर्मिला को दे दिया था. उस वरदान के अनुसार उर्मिला एक साथ तीन कार्य कर सकती थीं.