
गरुण पुराण (garuda purana ) जगत के पालनकर्ता श्री विष्णु भक्ति की पावन गंगा हैं.वैष्णव संप्रदाय से सम्बंधित यह ग्रन्थ मृत्यु के बाद आत्मा की सद्गति आत्मा की यमलोक की यात्रा का वर्णन हैं.कौन कौन से कार्यो को करकर आत्मा को सद्गति मिलती हैं इन सभी बातो का वर्णन हैं, गरुण पुराण (garuda purana ) के प्रमुख देव श्री हरि हैं.गरुण पुराण के पहले भाग में भगवान विष्णु की भक्ति और दूसरे में आत्मा की यमलोक यात्रा और उसे मिलने वाले विभिन्न नरकीय त्रासदी का वर्णन हैं.
इसके साथ ही इसमें आत्मा को मृत्यु के बाद कैसे नरकीय यातना से मोक्ष दिलाया जा सकता हैं.उसे प्रेत योनि से मुक्ति , और तर्पण और पिंडदान कैसे करना चाहिए , इन सबका वर्णन हैं. विष्णु ने एक बार जिज्ञासा वश श्री हरि से मृत्यु के बाद आत्मा की नरकीय यात्रा , और उसे मिलने वाले दारुण दुःख के बारे में पुछा. तब श्री हरि के श्री मुख से जो कल्याणकारी वचन प्रकट हुए .श्री विष्णु के उन्ही उपदेशो का इस पुराण में विस्तार पूर्वक वर्णन हैं, इसलिए इसे गरुड़ पुराण कहा जाता हैं.
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When to Read Garuda Puran
गरुड़ पुराण (garuda purana ) में मृत्यु के बाद जीव को नारकीय यात्रा से कैसे मोक्ष मिले , उसे प्रेत योनि से छुटकारा कैसे प्राप्त हो , जीव का श्राद्ध कर्म , और पिंडदान कैसे हो इन सभी बातो का विस्तारपूर्वक वर्णन हैं, इसलिए अपने पूर्वजो , पितरो को मोक्ष दिलाने के लिए गरुड़ पुराण अवश्य पढ़ना चाहिए. गरुण पुराण में जीव को मृत्यु के बाद कैसे विभिन्न नरकों की पीड़ा से बचाने और प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने और श्राद्ध कर्म ,पिंडदान कैसे किया जाये , इस बात की विस्तृत जानकारी गरुड़ पुराण में दी गयी हैं, इसलिए गरुड़ पुराण (garuda purana ) अवश्य पढ़े.लेकिन गरुड़ पुराण का पाठ सामान्य परिस्थितियों में नहीं अपितु घर में किसी की मृत्यु के उपरांत अथवा श्राद्ध के समय ही किया जाना चाहिए
जीवन में हमारे द्वारा किये गए कार्यो चाहे वो अच्छे हो या बुरे , इनका परिणाम न केवल इस जीवन में बल्कि मरने के बाद भी हमें अपने कर्मो का परिणाम मिलता हैं.इसलिए मनुष्य को हमेशा अपने कर्मो के प्रति सावधान रहना चाहिए . क्युकी सद्गति हमेशा अच्छे कार्यो को करने वालो को ही मिलती हैं. हमारे कर्म ही हमें सद्गति प्रदान करते हैं.
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Garuda Purana 7 Things
गरुड़ पुराण (garuda purana in hindi) में न केवल मृत्यु के बाद होने वाली जीव की सद्गति का वर्णन हैं . बल्कि मानव को कौनसे ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिससे मृत्यु पश्च्यात उसकी सद्गति न हो , उसकी आत्मा को नरक की भीषण यातनाओ से जूझना पड़े.
सावधानी भी जरुरी हैं जीने में,मनुष्य को अपन जीवन में हमेशा सतर्क रहना चाहिए जीवन में शत्रु हैं तो मित्र भी हैं. पर आपके शत्रु कब आपको पीड़ा दे जाये , इसका वर्णन नीतिसार में करते हुए कहा गया हैं कि हमेशा शत्रु से सतर्क रहते हुए नीति का उपयोग करना चाहिए .
साफ़ और स्वच्छ कपडे ही मनुष्य को धारण करने चाहिए , वस्त्र साधारण हो इस बात का उतना महत्व नहीं पर कपडे साफ़ सुथरे और फाटे हुए नहीं होने चाइये , मलिन और फटे हुए वस्त्र घर में दरिद्रता लाते हैं. और लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती हैं.
ज्ञान को सुरक्षित नहीं रखना चाहिए , उसका हमेशा अभ्यास करते रहना चाहिए , क्युकी ज्ञान संरक्षित रखने की चीज नहीं हैं, उसे जितना बाटेंगे उतना ही वह लाभ देगी.
व्यक्ति को हमेशा संतुलित भोजन ही करना चाहिए , क्युकी जीवन हो या भोजन असंतुलन हमेशा समस्याओ को जन्म देता हैं.इसलिए हमेशा संतुलित भोजन करे , क्युकी निरोगी काया ही मनुष्य को न केवल शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रखेंगी , और मनुष्य स्वस्थ विचारो को ही जन्म देगा.
गरुड़ पुराण में एकदशी के व्रत की महत्ता को बताया गया हैं. इस व्रत को करने से मनुष्य को निश्चित तौर पर इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं. इस व्रत में अन्न और चावल का परहेज करना चाहिए , और फलाहार करना चाहिए.
तुलसी की महत्ता सर्वविदित हैं. सभी शास्त्रों और पुराणों में इसे पूजनीय बताया गया हैं. तुलसी का सेवन करने से मनुष्य की काया निरोग रहती हैं. विष्णु की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व हैं.
सभी धर्म और शास्त्रों का सम्मान करें. क्यूकि जो व्यक्ति शास्त्रों और धर्म का अपमान करने वालो को नारकीय यातना से कोई नहीं बचा सकते हैं.
गरुड़ पुराण का नरक वर्णन
गरुड़ पुराण में मनुष्यो को सद्गति प्राप्त करने के उपायों का वर्णन हैं .बल्कि व्यक्ति को नरक में मिलने वाली यातनाओ का भी जिक्र किया हैं. इसलिए मनुष्यो को अपने कर्मो को ऐसा नहीं करना चाहिए , की उसे नरक की यातनाओ को झेलना पड़े.विभिन्न प्रकार के अपराधों और उनकी सजा इस प्रकार हैं.
मंजुष-जो निर्दोषो को अपराधी बनाते हैं.उन्हें गरम लोहे जैसे धरती पर सजा मिलती हैं.
अप्रतिष्ठ– ब्राह्मण को कष्ट देने वालो को , मूत्र, पीब ,और उलटी से भरे नर्क में रखा जाता हैं.
तामिस्र -चोरो को यहाँ पर दण्डित किया जाता हैं.
महातामिस्र– जो व्यक्ति माता पिता , और मित्रो को देखा देते हैं , उन्हें मारते है, उन्हें इस नरक में यातना दी जाती हैं. जौकें उनका खून पीती हैं.
महावट-जो लोग अपनी लड़कियों को बेचते हैं, उन्हें मुर्दो और कीड़ो से भरे नर्क में लाया जाता हैं.
महापायी-झूठ बोलने वालो को इस भयानक नर्क की गंदगी में धकेला जाता हैं.
कश्मल -मांसाहार खाने वालो को इस नर्क जो मुँह और नाक की गंदगी से भरा हुआ हैं , यहाँ यातना दी जाती हैं.
उग्रगन्ध-जो लोग अपने पितरो का पिंडदान नहीं करते उन्हें इस , मूत्र , विष्ठा ,की गंदगी वाले नर्क में यातना दी जाती हैं.
वज्रमहापीड-धर्म को नहीं मानने वाले, जीव की हत्या करने वाले को इस नर्क में भयंकर यातनाये दी जाती है.उन्हें वज्र से मारा जाता हैं
वज्रकुठार-जो वृक्षों को काटते हैं उन्हें यहाँ वज्र से यातना दी जाती हैं.
Importance of Garuda Purana
गरुड़ पुराण में विष्णु और गरुड़ के बीच में संवाद हैं, और अगले भाग में में व्यक्ति की मृत्यु और मृत्यु के बाद उसकी यमलोक यात्रा , उसके नारकीय यातना का वर्णन लिखा हैं. सृष्टि रचियता ने वेदो पुराणों की रचना की इसके साथ ही उन्होंने मानव के लिए उचित अनुचित कार्यो को भी लिखा , की मानव के लिए कौनसा कर्म शुभ और अशुभ हैं,
गरुड़ पुराण सामान्य परिस्थितियों में पढ़ने वाला ग्रन्थ नहीं हैं.यह ग्रन्थ मृत्यु के पश्च्यात अथवा श्राद्ध के दिनों में पढ़ने वाला ग्रन्थ हैं. इसमें यह बताया गया हैं. गरुड़ पुराण को सुनने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता हैं. गरुड़ पुराण केवल व्यक्ति की मृत्यु के बाद पढ़ा जाता हैं जिससे मृत व्यक्ति को शांति और मोक्ष मिलता हैं.
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Benefits of reading Garuda Purana
गरुड़ पुराण एक महान ग्रन्थ हैं. इसमें व्यक्ति को उसके अच्छे बुरे कार्यो का परिणाम बताया गया हैं, मनुष्य को उसके अच्छे हो या बुरे उसके सभी कर्मो का शुभ और अशुभ फल मिलता हैं या जीवन में मिले या जीवन के पश्च्यात पर मिलता अवश्य हैं. गरुड़ पुराण हमें सदैव बुरे कार्यो को न करने और , और अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देता हैं.
गरुड़ पुराण केवल एक ग्रन्थ ही नहीं अपितु यह मनुष्यो को अच्छे कर्मो का ज्ञान और रास्ता दिखाने वाला एक पथ प्रदर्शक हैं, मनुष्यो को केवल सद्गति उसके द्वारा किये गए अच्छे कार्यो से ही मिलती हैं, व्यक्ति के स्वर्ग और नरक उसके अच्छे कार्यो में ही हैं.
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