
इस वर्ष हरतालिका तीज ( Hartalika Teej) september 12 , 2018 को मनाया जायेगा.(hartalika teej date in India 2018) सितम्बर श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाये जाने वाला हरतालिका तीज का पर्व करवाचौथ से भी ज्यादा कठिन व्रत होता हैं,यह व्रत पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हैं. हरतालिका तीज(hartalika teej vrat) का व्रत निर्जला रखा जाता हैं, और अगले दिन पूजन करने के बाद ही व्रत खोला जाता हैं,इस व्रत में माँ पार्वती और शिव शंकर का पूजन किया जाता हैं. विवाहित महिलाये अपने अखंड सुहाग के लिए और कुँवारी कन्याये मनचाहा वर पाने के लिए ये व्रत करती हैं. इस व्रत के पीछे मान्यता हैं जो भी विवाहित स्त्रियाँ इस व्रत को करती हैं , उन्हें माता पार्वती की कृपा और शिवलोक प्राप्त होता हैं.
इस व्रत में माता पार्वती को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता हैं, और विशेष रूप से गौरी शंकर का पूजन किया जाता हैं.और शिव पार्वती के विवाह की कथा सुनी जाती हैं,इस व्रत के नियम बहुत ही कठिन हैं, इस व्रत में आपको रात्रि जागरण करना होता हैं, भजन कीर्तन करते हुए रात्रि में शयन निषेध हैं.
Hartalika teej pooja vidhi हरतालिका तीज पूजा विधि
1-हरतालिक तीज(Hartalika pooja vidhi) व्रत का पूजन दिन और रात के मिलने के समय अर्थात प्रदोष काल में किया जाता हैं.
2-काली मिटटी से अथवा बालू से ,शिव,पार्वती, और गणेश की प्रतिमा बनाई जाती हैं. और पूजन किया जाता हैं.
3-विवाहित स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करके , लाल वस्त्र पहनकर , मेहँदी , लगाकर शिव गौरी का पूजन करती हैं.
4-एक कलश की स्थापना की जाती है, जिसमे जल भरकर श्रीफल रखा जाता हैं.कलश का पूजन किया जाता हैं, उसके बाद गणपति की पूजा की जाती हैं.उसके बाद माता गौरी की पूजा की जाती हैं और उन्हें सुहाग का सारा सामान अर्पित किया जाता हैं.
5-पूजा के बाद तीज की कथा पढ़ी जाती हैं , फिर गणेश , शिव और माता गौरी की आरती की जाती हैं.
6-इसके बाद माता गौरी की परिक्रमा की जाती हैं , रात्रि में भजन , कीर्तन कर जागरण किया जाता हैं.
7-माता गौरी को जो सिन्दूर चढ़ाया जाता हैं उसी सिन्दूर से सुहागन स्त्रियाँ स्वयं की मांग भरती हैं.
8-माता को जो भोग लगाया जाता हैं ,उसी को अगले दिन पूजा के बाद खाकर सुहागन स्त्रियाँ अपना व्रत तोड़ती हैं.
ऐसी मान्यता हैं जो भी सुहागन स्त्रियाँ हरतालिका तीज व्रत (Hartalika puja rituals) को नियम ,श्रद्धा और विधिपूर्वक करती हैं , उनके सुहाग की रक्षा शिव भगवान स्वयं करते हैं.
Hartalika teej vrat katha हरतालिका व्रत कथा
हरतालिका तीज व्रत कथा ( हरतालिका तीज व्रत कथा )इस प्रकार से हैं.
माँ पार्वती(hartalika teej vrat katha) ने भगवान शंकर को अपने पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की , इस दौरान उन्होंने अन्न जल का त्याग कर दिया , और काफी समय तक केवल पत्ते खाकर रही उसके बाद केवल हवा के भरोसे ही जीवित रही, उन्होंने कड़कड़कती ठण्ड में पानी में रहकर तपस्या की , और भीषण गर्मी में यज्ञ किया .माँ पार्वती की निष्ठा और तपस्या से प्रसन्न होकर से विष्णु भगवान ने हिमालय से माँ पार्वती के विवाह का प्रस्ताव मांगा हिमालय प्रसन्न हो गए .
पर माँ पार्वती दुखी हो गयी.उन्होंने ये व्रत भगवान् शंकर को पति रूप में पाने के लिए किया था . उन्होंने यह बात अपनी सखी से कही सखी ने पार्वती की सहायता की और वे उसे हर कर वन ले गयी , जहा पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया ,जहा शिव ने माता पार्वती को आर्शीवाद दिया , और पति रूप में पाने का वर दिया.
दूसरी और पिता हिमालय ने माता पार्वती को बहुत खोजा पर वे नहीं मिली , जब पार्वती वापिस आयी तो पिता ने उनसे दुख का कारण पुछा जब पावती ने साड़ी बात विस्तार से बताई तो पिता हिमालय ने उनका विवाह भगवान शिव से करा दिया.
Hartalika Teej ki samagri हरतालिका तीज की सामग्री
हरतालिका तीज व्रत सामग्री (hartalika teej vrat samagri) इस प्रकार हैं
1-काली मिट्टी
2-बेल पत्र
3-शमी की पत्तिया
4-धतूरे का फूल , फल
5-तुलसी की मंजरी
6-सभी प्रकार के फूल और पत्ते
7-सुहाग की सारी सामग्री
8-श्रीफल
9-रोली
10-चंदन
11-वस्त्र
12-कुमकुम
13-कपूर
14-घी
15-दीपक
Mata Parvati ke liye suhag samagri माता पार्वती के लिए सुहाग सामग्री
1-मेहँदी
2-चूड़ी
3-बिछिया
4-काजल
5-सिन्दूर
6-बिंदी
7-कुमकुम
8-कंघी
Hartalika teej poojan mantra करे इस पावन मंत्र का जाप
श्रवण मास की तृतीया को मनाया जाने वाला यह हरतालिका तीज(hartalika teej vrat) का त्यौहार जन मानस के बीच, श्रावणी तीज ,कजली तीज , मधुश्रवा तीज, हरियाली तीज(hariyali teej) के नाम से प्रसिद्द हैं. यह त्यौहार महिलाये अपने अखंड सुहाग के लिए रखती हैं, और कुवारी कन्याये मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं.
विवाहित महिलाये सोलह श्रृंगार करके शिव पार्वती का पूजन और व्रत निर्जला रखकर करती हैं. इस दिन का व्रत और पूजन बहुत ही फलदायक माना जाता हैं. इस व्रत में निम्न मंत्र का जाप बहुत ही शुभ और फलदायक माना जाता हैं.
गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।
इसके अलावा माँ पार्वती की पूजा आप निम्न मंत्र से भी करते हैं.
ॐ उमायै नमो , ॐ शिवायै नमो, ॐ पार्वत्यै नमो
शिव भगवान की आराधना निम्न मंत्र से कीजिये
ॐ हराय नमो, ॐ महेश्वराय नमो, ॐ शम्भवे नमो
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