
Kedarnath Temple
हिमालय की खूबसूरत श्रृंखलाओं में स्थित भारत के दो पवित्र और पावन धाम बद्रीनाथ और केदारनाथ(Kedarnath temple mythological importance) नारायण और हरि के स्वरुप का प्रतीक हैं, जो हमारी आस्था और विश्वास के केंद्र बिंदु हैं. इन पवित्र धामों का शांत और मनमोहक वातावरण न केवल हमें आध्यात्मिक सुख देता हैं, वरन हमें नैसर्गिक वातावरण का आनंद भी प्रदान करता हैं.
केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख और पंच केदारो में इसकी गणना होती हैं. ये पंच केदार हैं-
केदारनाथ, तुंगनाथ ,रुद्रनाथ , मध्यमहेश्वर, कल्पेश्वर.इन पंच केदार में शिव स्वयंभू रूप में उपस्थित हैं.
कहा जाता हैं. पांडवो की पीढ़ी में परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने केदारनाथ का निर्माण करवाया, 8 वी सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोदार करवाया , वर्तमान मंदिर पांडवो द्वारा निर्मित मंदिर के साथ में स्थित हैं.
Kedarnath history and panch Kedar
केदारनाथ मंदिर का इतिहास कहता हैं(Kedarnath mythological Importance) की पांडवो ने जब महाभारत युद्ध के पश्च्यात युद्ध में अपने भातृ हत्या के लिए प्रायश्चित करने का निश्चय किया तो , वे शिव के दर्शनों के लिए निकल पड़े, शिव के दर्शनों के लिए जब वे काशी गए , तो शिव उन्हें वहां नहीं मिले, शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे , पर पांडव अपनी बात पर दृढ़ थे इसलिए वे शिव को खोजते खोजते , हिमालय और फिर केदार तक पहुंच गए.
केदार पहुंचने पर जब शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया, लेकिन भीम ने बैल को पहचान लिया , जैसे ही बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा , भीम ने बैल की पीठ को पकड़ लिया, पांडवो की भक्ति और एकनिष्ठा देखकर शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर पाप से मुक्त कर दिया.
इस प्रकार शिव अपने स्वयंभू रूप में (बैल की पीठ की आकृति ) के रूप में केदारनाथ में उपस्थित हैं.केदारनाथ मंदिर के ऊपर स्वर्ण कलश बना हैं , मंदिर के बाहर देवी द्रौपदी और पांच पांडव की मूर्ति हैं , जब शिव बैल के रूप में केदारनाथ प्रकट हुए तो पीठ को छोड़कर उनके शरीर के अन्य हिस्से गायब हो गए,उनके शरीर के ये अन्य हिस्से अलग अलग जगह पर प्रकट हुए जिन्हे पंच केदार कहा जाता हैं .
रुद्रनाथ में शिव की पाषाण स्वयंभू मूर्ति हैं , जिसमे शिव गर्दन टेढी किये हुए यहाँ पर विराजमान हैं.जोशीमठ से 45 किलोमीटर की दूरी में स्थित यह केदार हाथी पर्वत , त्रिशूल , नंदा देवी की चोटियों से सुशोभित हैं. यहाँ सूर्य कुंड, चंद्र कुंड , तार कुंड आदि इसकी शोभा को बढ़ाते हैं.
कल्पेश्वर में शिव जटाओ के रूप में उपस्थित हैं. कल्पेश्वर मंदिर की सरंचना ग्रेनाइट पत्थरो से निर्मित हैं , मंदिर की भव्यता इसकी सरंचना से इसकी निर्माण शैली से दिखती हैं ,जो नागर शैली में बनाया गया हैं , मंदिर के गर्भ गृह में जाने का रास्ता एक प्राकृतिक गुफा से होकर जाता हैं.
मध्य महेश्वर में शिव की नाभि लिंग के रूप में विराजमान हैं यहाँ नाभि के आकर का शिवलिंग हैं.यहाँ के जल की महत्ता इतनी हैं, कि उन्हें ग्रहण कर मोक्ष कि प्राप्ति सरल और सहज हैं.
तुंगनाथ पंच केदार में एक और महत्वपूर्ण केदार जिसमे शिव कि भुजा शिला रूप में मौजूद हैं . पांडवो ने शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण स्वयं कराया था. पंच केदारो में तुंगनाथ कि चढ़ाई सर्वाधिक कठिन और ऊंची चढ़ाई मानी जाती हैं.
केदारनाथ कि जलवायु प्रतिकूल हैं, यहाँ कपाट छह माह खुलते हैं ,और छह माह बंद होते हैं. जिसका कारण यहाँ शीत ऋतु में होने वाली बर्फ़बारी हैं. शीत काल में होने वाली बर्फ़बारी में केदारनाथ पूरा बर्फ से ढक जाता हैं.जिस वजह से यहाँ कपाट अक्टूबर में बंद हो जाते हैं. और अप्रैल में दुबारा खुलते हैं.
Kedarnath openings and closing timings:
मंदिर प्रात: पांच बजे खुल जाता हैं, और रात को 10 बजे बंद हो जाता हैं मंदिर में होने वाली आरतिया इस प्रकार हैं
शिव आरती- 5:30 am to 6:30 am
भोग आरती-7:30 am to 8:00 am
केदारनाथ आरती -10:30 am to 11:30 am
मध्याहन आरती 11:30 am to 12:15 pm
संध्या आरती 5:30 pm to 6:10 pm
रात्रि आरती- 9:00 pm to 9:30 pm
Place to visit in Kedarnath
केदारनाथ (Place to visit in Kedarnath) तीन पर्वतो और पांच नदियों से घिरा हुआ एक सुन्दर और मनोहर आध्यात्मिक धाम हैं. इसकी पर्वत पर .
श्रृंखलाओं में स्थित हैं 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ
21 हजार फुट 600 फीट ऊंचा खर्चकुंड
22 हजार 700 फ़ीट ऊंचा भरतकुंड
मन्दाकिनी.मधुगंगा ,क्षीर गंगा , सरस्वती, स्वर्णगंगा
केदारनाथ में स्थित , ये कुंड अमृत कुंड ,रेतस कुंड , महापथ , हंस कुंड . जो बहुत ही पवित्र और पावन माने गए हैं.
उदक कुंड में शिव को अर्पित किये हुए जल को रखा जाता हैं जिसका, जिसे भक्त अपने साथ ले जाते हैं यह बहुत ही पवित्र माना गया हैं.
रेतस कुंड जिसमे भीम ने शिव कि पूजा अर्चना की थी .
हंस कुंड में पितरो का श्राद्ध किया जाता हैं . केदारनाथ को मोक्ष धाम भी कहा जाता हैं .इस कुंड में पिंडदान करने से पितरो को प्राप्त होता हैं और उन्हें मुक्ति मिलती हैं .
हवन कुंड में हवन करने का कार्य किया जाता हैं.
रेतस कुंड जिसमे भीम ने शिव कि पूजा अर्चना कि थी .रेतस कुंड में जलपान करने से मानव शुद्ध हो जाता हैं, यहाँ पर शिव के मंत्र ॐ नमो शिवाय का जाप करने से पानी में बुलबुले उठते हैं.
Kedarnath in Winters
शीत काल में केदारनाथ बर्फ से पूरा ढक जाता हैं जिससे यहाँ 21 अक्टूबर को ही कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
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