
Krishna Janmashtami:
कंस के अत्याचारों से धरती को मुक्त करने( when is krishna janmashtami )और ऋषि मुनियो के कष्ट को हरने श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को योगेश्वर कृष्ण देवकी वासुदेव के पुत्र रूप में अवतरित हुए थे.कृष्ण के अवतरण के दिन को ही krishna janmashtami के रूप में मनाते हैं.कृष्ण पूर्ण कला के अवतार माने जाते हैं , राम(Ram) में 12 कलाएं थी, कृष्ण ने 16 कलाओ के साथ अवतार लिया था.
कलाओ से तात्पर्य किसी चित्रकला से नहीं अपितु मानव में पाए जाने वाले गुणों से हैं , गुणों की मात्रा से जीव का निर्धारण होता हैं. विष्णु के दशवतारो में सभी में अवतार के अनुरूप गुण विद्यमान थे , राम सूर्यवंशी रहे तो सूर्य की तरह उनमे 12 कलाएं थी., कृष्ण पहले अवतारी पुरुष रहे जिनमे 16 कलाएं मौजूद थी,इसलिए उन्हें पूर्णावतार भी कहा जाता हैं.
विष्णु के आठवे अवतार के रूप में भगवन कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था.उनके माता पिता देवकी और वासुदेव थे. उन्होंने कंस के भय से कृष्ण को गोकुल में नन्द बाबा के पास छोड़ आये लेकिन उनका लालन पालन गोकुल में नन्द और यशोदा ने किया था.
जन्माष्टमी 2018 /इस योग में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म
जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं, इस वर्ष krishna janmashtami का त्यौहार 2 सितम्बर (2018 को) को मनाया जायेगा,(जानिए क्या है अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का समय) कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र ,वृष लग्न का चन्द्रमा ,दिन बुद्धवार को हुआ था .
जन्माष्टमी तिथि और मुहूर्त
जन्माष्टमी का पावन त्यौहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कृष्ण भक्तो द्वारा पूरे हर्ष और उल्लास से मनाया जाता हैं.कृष्ण जन्माष्टमी के लिए मंदिरो को विशेष रूप से सजाया जाता हैं.कृष्ण को झूला झुलाया जाता हैं.मदिरो में कृष्ण से सम्बंधित झांकी सजाई जाती हैं.कृष्ण जन्माष्टमी का पावन मुहूर्त इस वर्ष 2nd सितंबर 2018, को , और रविवार को 20:47 बजे से होगा जिसका समापन 3rd सितंबर 2018, सोमवार को 07 :19 बजे होगा।
जन्माष्टमी को ‘व्रतराज’ भी कहते हैं
सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ krishan janmashtami के पर्व को व्रतराज(जन्माष्टमी को ‘व्रतराज’ भी कहते हैं) भी कहा जाता हैं , इस व्रत को करने का पुण्य कई व्रतों को करने के बराबर माना जाता हैं.इस दिन कृष्ण को पाला झुलाने का महत्व कई पुण्यो के समक्ष माना जाता हैं.घरो, मंदिरो में कृष्ण की सुन्दर झांकी बनायीं जाती हैं और कृष्ण के लड्डू गोपाल रूप का मनमोहक श्रृंगार किया जाता हैं.
How is Krishna Janmashtami celebrated / श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कैसे करे
व्रत पूजा के लिए किसी कठिन नियम(How is krishna Janmashtami celebrated), या कठोर तप की जरुरत नहीं आप सरल और सहज भाव से व्रत और पूजा रखकर श्री कृष्ण की पूजा कर सकते हो. श्री कृष्ण की लड्डू गोपाल की मूर्ति को नए वस्त्र आभूषण पहनाकर माखन मिश्री , फल ,खीर या ड्राई फ्रूट्स का भोग लगाकर श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करें.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.कृष्ण को पालने में झुलाकर भजन आरती करें और , रात्रि 12 बजे जब कृष्ण जन्म हो , उसके पश्च्यात ही व्रत खोले , वैसे कुछ लोग अगले दिन भी व्रत खोलते हैं., व्रत में फलाहार ही ग्रहण करें .
दही हांड़ी और जन्माष्टमी
गोविंदा आला रे की ध्वनि के साथ जब लड़को का समूह पिरामिड बनता हैं, और दही की मटकी को फोड़कर विजयी बनता हैं,तो आप सोचते होंगे की दही हांड़ी और जन्माष्टमी का क्या संयोग ? कन्हैया को दही माखन बहुत प्रिय हैं, तो वे मटकी से चुरा चुराकर माखन और दही खाते थे , इसलिए दही हांड़ी का यह खेल कान्हा जी को समर्पित हैं, जो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यह खेल आयोजित कर कृष्ण की बाल लीलाओ का स्मरण किया जाता हैं.वैसे तो दही हांड़ी की यह प्रतियोगिता आसान नहीं हैं कई बार युवा गिर जाते हैं, और उन्हें चोट लग जाती हैं.पर फिर भी इस खेल की लोकप्रियता कम नहीं हुयी हैं. यह खेल दर्शाता हैं, की लक्ष्य पर नजर होनी चाहिए , आप जीवन में हमेशा जीतोगे.