
देवताओ में कुबेर देव( kuber dev) को धन का राजा माना गया है तथा वे धन एवम सम्पति के रक्षा करते है. यही कारण है की भक्त कुबेर देव की पूजा सुख, सम्पति एवम वैभव प्राप्ति के लिए करते है.
पृथ्वीलोक की समस्त धन सम्पदा का एक मात्र स्वामी कुबेर देव है.
वे भगवान शिव(lord shiva) के प्रिय सेवको में से एक है तथा भगवान शिव के वरदान द्वारा ही उन्हें धन के देव होने का सोभाग्य मिला था. भगवान शिव ने कुबेर देव को यह भी वरदान दिया था की जो भी भक्त कुबेर देव की पूजा करेगा उस पर धन एवम वैभव की वर्षा होगी.
कुबेर देवता लंका के राजा रावण के सौतेले भाई माने जाते है, कुबेर देव एवम रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने दो विवाह किये थे उनकी दोनों पत्नियों का नाम इडविया तथा कैकसी था.
इडविया ब्राह्मण कुल की कन्या थी जिनके पुत्र कुबेर थे तथा कैकसी असुर कुल की कन्या थी जिस कारण रावण पर असुर प्रवृतिया आई थी.
शास्त्रो के अनुसार कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय बतलाये गए है जिनमे मन्त्र साधना द्वारा एक ऐसा उपाय है जिससे कुबेर देव अति शीघ्र प्रसन्न होता है तथा साधक के घर में धन की वर्षा होने लगती है .
परन्तु इस मन्त्र के जाप से पहले कुछ विशेष बाते आपको अपने ध्यान में रखनी होगी जिनमे दो प्रमुख है पहली तो यह है की इस मन्त्र का जाप आप दक्षिण की ओर मुख करके करे तभी यह सिद्ध होगा तथा दूसरी यह की मन्त्र उच्चारण के समय कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए.
मन्त्र :- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम :
इस मन्त्र का प्रयोग व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहर्त में करना चाहिए. इस प्रयोग से पूर्व व्यक्ति स्नान आदि करे एवम स्वच्छ वस्त्र पहन कर ही मंदिर में प्रवेश करे. भगवान शिव के मंदिर में इस मन्त्र का उच्चारण करे. यदि यह प्रयोग आप बिल्व वृक्ष के जड़ो के समीप बैठकर करे तो यह मन्त्र और अधिक शीघ्र प्रभाव में आता है.
इस मन्त्र का एक हजार जप व्यक्ति को हर आर्थिक समस्याओ से मुक्ति दिला देगा तथा व्यक्ति के घर की सभी दरिद्रता चली जायेगी व व्यक्ति को शीघ्र अपार धन की प्राप्ति होगी.
एक और आवश्यक बात जब भी आप इन मंत्रो का जाप करे तो भगवान शिव को अपने ध्यान में रखे. ऐसा इसलिए क्योकि कुबेर देव भगवान शिव को अपना गुरु मानते थे .