
Lord shiva history in hindi
धरती के भी आरम्भ के समय लगभग 15 – 20 हजार वर्ष पूर्व जब वराह काल की शुरवात हो रही थी तब देवी देवताओ द्वारा धरती में पहली बार कदम रखा गया था. उस काल के समय सम्पूर्ण धरती हिम से ढकी हुई थी. उसी दौरान महादेव शिव ने धरती के केंद्र में जाकर उसे अपना निवास स्थान बनाया.
भगवान विष्णु ने समुद्र तथा ब्रह्म देव ने समुद्र के किनारे को अपने निवास स्थान के रूप में चुना. प्राचीन धर्म ग्रंथो की पुस्तको में यह वर्णन मिलता है की जहाँ पर भगवान शिव विराजमान है उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक स्थित है यहां भगवान विष्णु निवास करते है.
भगवान शिव (lord shiva) के आसन के ऊपर अर्थात वायुमंडल के पार क्रमश स्वर्गलोक तथा इसके पश्चात ब्रह्मलोक स्थित है. जबकि इसके अलावा उस समय धरती पर कुछ भी नहीं था इन त्रिदेव के शक्तियों से धरती पर जीवन आया.
वैज्ञानिकों के अनुसार तिब्बत धरती की सबसे प्राचीन भूमि है और पुरातनकाल में इसके चारों ओर समुद्र हुआ करता था. फिर जब समुद्र हटा तो अन्य धरती का प्रकटन हुआ और इस तरह धीरे-धीरे जीवन भी फैलता गया .
इस धरती पर सबसे पहले भगवान शिव (lord shiva) ने ही जीवन के प्रचार प्रसार का प्रयास किया इसी कारण भगवान शिव आदि देव भी कहलाते है. आदि से अभिप्राय है आरम्भ अर्थात भगवान शिव ही आरम्भ है. आदिनाथ होने के कारण भगवान शिव आदिश के नाम से भी जाने जाते है.
इसी आदिश शब्द से ही आदेश शब्द बना हुआ है, नाथ साधू जब एक दूसरे से मिलते है तो आदेश कह कर भगवान शिव का जयकारा लगाते है.भगवान शिव (lord shiva) के अलावा ब्रह्मा और विष्णु ने संपूर्ण धरती पर जीवन की उत्पत्ति और पालन का कार्य किया.सभी ने मिलकर धरती को रहने लायक बनाया और यहां देवता, दैत्य, दानव, गंधर्व, यक्ष और मनुष्य की आबादी को बढ़ाया.
महाभारत युग :-
ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल तक देवता धरती पर रहते थे. महाभारत के बाद सभी अपने-अपने धाम चले गए. कलयुग के प्रारंभ होने के बाद देवता बस विग्रह रूप में ही रह गए अत: उनके विग्रहों की पूजा की जाती है.
वैदिक काल के रुद्र और उनके अन्य स्वरूप तथा जीवन दर्शन को पुराणों में विस्तार मिला. वेद जिन्हें रुद्र कहते हैं, पुराण उन्हें शंकर और महेश कहते हैं. वराह काल के पूर्व के कालों में भी शिव थे. उन कालों की शिव की गाथा अलग है.
महादेव शिव सबके रक्षक :-
देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी. ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे. दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव. वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं.