
Navratri | नवरात्रि
नवरात्रि पूजा विधि से पहले यह जानना बहुत जरुरी हैं नवरात्रि का अर्थ क्या हैं (Navratri Puja Vidhi) नवरात्रि (नवरात्रि पूजा विधि) (Navratri) अर्थात देवी के नौ रूपों की नौ दिन और नौ रात तक पूजा| देवी के शक्ति रूप की पूजा अर्थात नवरात्र वर्ष में चार बार मनाया जाती हैं. चैत्र ,पौष, आषाढ़ ,अश्विन .नवरात्रि में नौ दिन माँ के तीन रूपों महालक्ष्मी, महासरस्वती,और दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं .ये नौ देविया हैं :
1-शैलपुत्री-
2-ब्रह्मचारिणी
3-चंद्रघंटा
4-कुष्मांडा
5-स्कंदमाता
6-कात्यायिनी
7-कालरात्रि
8-महागौरी
9-सिद्धरात्रि
देवी की शक्ति रूप की उपासना नौ दिन तक ,नवधा भक्ति के साथ प्राचीन काल से मनाये जाने का चलन हैं,आदिशक्ति की उपासना का चलन श्री राम ने सर्वप्रथम शारदीय नवरात्र पर किया था ,लंका पर आक्रमण करने से पूर्व देवी के नौ रूपों की उपासना की .परिणामस्वरुप उन्हें लंका में विजय मिली.इसलिए दसवे दिन को राम की रावण पर जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता हैं.
Navratri Puja Vidhi नवरात्रि पूजा विधि
मंदिर को साफ़ स्वच्छ करके देवी की मूर्ति स्थापित करे,अब देवी को नवीन वस्त्रो से अलंकृत कर आभूषण पहनाये और लाल फूलो से उनका श्रृंगार करे, इसके बाद एक साफ़ बर्तन में मिटटी रखकर उसमे जौ के बीज बोये , अब एक कलश की स्थापना करे और उसमे जल भरकर आम के पत्तो से सजाये ,साथ में एक अखंड दीप की स्थापना करे.यह दीप नौ दिन नौ रात तक लगातार जलना चाहिए , इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा.नवरात्र के दौरान प्रतिदिन माँ को मिठाई फल या घर में बने हुए व्यंजन का भोग लगाना चाहिए और रात्रि में घर में बने हुए फलाहार भोजन का भोग, साधक को चाहिए की प्रतिदिन वह दुर्गा कवच , दुर्गा सप्तशती का पाठ करे .व्रत के परायण यानि नवें दिन हवन करें इसके पश्च्यात कन्याओं का पूजन और उन्हें भोजन कराकर व्रत का परायण करें.
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Puja Mein Dhyaan Rakhne Yogya Baatein | पूजा में ध्यान रखने योग्य बाते:
नवरात्र में पूजा पाठ के दौरान कुछ बातें हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरुरी हैं, जैसे माँ के वस्त्र और फूलमाला उन्हें प्रतिदिन नए पहनाये जाये. जिस बर्तन में जौ बोये हैं उनमे प्रतिदिन पानी का छिरकाव किया जाये ,ये जौ की पत्तिया जितनी हरी भरी होंगी उतना शुभ होगा .अखंड दीप का ध्यान रखना बहुत जरुरी हैं .
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