
गुड़ी पड़वा (Significance of Gudi Padwa) विशेष अवसर हैं नवसवत्सर का .महाराष्ट्र में मराठी हिन्दू गुड़ी पड़वा के दिन को हिन्दू नव संवत्सर के रूप में मनाते हैं. गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के दिन से ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताये दोनों ही जुडी हुयी हैं.मान्यताओं के अनुसार चैत्र प्रतिपदा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था .और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुवात होती हैं. कहते हैं इसी दिन मालवा नरेश विक्रमादित्य ने शकों को परास्त कर नव संवत्सर का प्रवर्तन किया था .
भगवान श्री राम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था. वैसे तो पूरे भारत में नव संवत्सर विभिन्न तिथियों को मनाया जाता हैं. फिर भी पूरे देश में चैत्र के महीने में ही नववर्ष मनाया जाता हैं.चैत्र प्रतिपदा यह दिन हमारी संस्कृति हमारी परंपरा का प्रतीक हैं, सृष्टि का आरम्भ इस दिन होने से हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अपना नवसंवत्सर मनाते हैं.इस वर्ष गुड़ी पड़वा 18 मार्च को मनाई जाएगी.
Gudi Padwa Kyu Manate Hein गुड़ी पड़वा क्यों मनाते हैं
गुड़ी पड़वा(Gudi Padwa) दिवस हैं सृष्टि के जन्म दिवस का , नव वर्ष का , नव सृजन का , नव उत्साह का. चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या नव संवत्सर के रूप में मनाया जाता हैं. ‘गुड़ी’ का अर्थ होता है ‘विजय पताका’। कहा जाता है कि शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों का निर्माण किया और उनकी एक सेना बनाकर उस पर पानी छिड़कर उनमें प्राण फूके । उसने इस सेना की सहायता से शक्तिशाली शत्रुओं को पराजित किया। इसी विजय के प्रतीक के रूप में ‘शालिवाहन शक’ का प्रारंभ हुआ। महाराष्ट्र में यह पर्व ‘गुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है।
Significance of Gudi Padwa गुड़ी पड़वा का महत्व :
गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के दिन मराठी हिन्दू नवसंवत्सर मनाते हैं.इस दिन मराठी लोग अपने घर के बाहर या छत पर साड़ी से निर्मित गुड़ी लगाते हैं. जिस पर तांबे का कलश बांधा जाता हैं. इसे तोरण से ,ध्वजा से या दीप से सजाया जाता हैं, भगवान को श्रीखंड या पूरन पोली(मीठी रोटी )का भोग लगाया जाता हैं.और प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं.कहते हैं मान्यता हैं दक्षिण की प्रजा को बाली के अत्याचारी शासन से श्री राम ने मुक्ति दिलाई थी ,इसलिए प्रजा ने ख़ुशी में घर घर में ध्वजा फहराए.इस अवसर पर आंध्र प्रदेश में घरो में प्रसादम बांटा जाता हैं.महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की.
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इस गुड़ी पड़वा बनाये स्वदिष्ट मीठे पकवान