
भगवान विष्णु के पांचवे अवतार के रूप में भगवान वामन अवतरित हुए थे. वे राजा बलि के महल के द्वार पर तीन महीने तक खड़े रहे, तथा उन्होंने दान में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगने पर अपने तीनो पग में ही भूमि, आकाश तथा पाताल तीनो को नाप लिया.
परन्तु वास्तविकता में भगवान वामन द्वारा राजा बलि से तीनो लोको को मांगने के पीछे का मुख्य उद्देश्य तो कुछ ओर था. आज हम आपको बतायंगे की आखिर क्या था वो वास्तविक कारण और कौन थे वामन देव, वे कहा से आये थे.
मह्रिषी कश्यप की पत्नी देवी अदिति देवमाता कहि जाती है क्योकि वे सभी देवताओ की जननी थी जिनमे देवराज इंद्र, सूर्य तथा अदितीय आदि है. जब राक्षसों द्वारा स्वर्गलोक में आक्रमण किया गया तो देवराज इंद्र से उनका राजसिंहासन छीन लिया गया.
देवराज इंद्र दुखी अवस्था में अपनी माता देवी अदिति के पास पहुंचे तथा अपनी व्यथा बताई. तब देवी अदिति ने भगवान विष्णु को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त करने के लिए 12 वर्षो तक की कठिन तपस्या करी ताकि वह अपने पुत्र इंद्र को वापस स्वर्ग दिला सके.
देवी आदिति की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु वामन रूप में उनके पुत्र के रूप में अवतरित हुए. वामन देव श्रवण मॉस की द्वादशी के दिन अभिजीत नक्षत्र में जन्मे थे, उनके जन्म पर सभी देवताओ ने पुष्पों से उनका स्वागत किया.
सूर्य देव द्वारा वामन देव को मंत्रो एवं शास्त्रों का ज्ञान मिला.
देव ब्र्ह्स्प्ति ने वामन देव को छाता प्रदान किया तथा उनकी माता अदिति ने उन्हें लाल लंगोट पहनने को प्रदान करी.
उस समय राक्षस राज बलि ने तीनो लोक में अपना अधिकार कायम कर रखा था वह अत्यन्त शक्तिशाली एवं पराक्रमी राजा थे. माता अदिति ने अपने पुत्र इंद्र को पुनः स्वर्ग लोक का राज दिलाने के लिए वामन देव को राजा बलि के पास भेजा.
वामन देव राजा बलि की महल के पास जब पहुंचे तो द्वार प्रहरियों ने उन्हें महल के भीतर प्रवेश करने से रोका. वामन देव राजा बलि के महल के बाहर ही चार महीनों तक प्रतीक्षा में खड़े रहे.
इस अद्भुत बालक की सुचना जब राजा बलि को मिली तो उन्होंने उसे महल के भीतर बुलाया.
तथा उनसे पूछा कौन हो तुम? तो जवाब मिला मैं अपूर्वाली हूँ , तुम मुझे नही जानते. फिर राजा बली ने पूछा तुम कहा से हो? जवाब मिला सारी सृष्टि मुझसे है.
राजा बलि उस बालक के जवाब को सुन आश्चर्यचकित हो गए. क्योकि उस समय राजा बलि अश्व्मेधय यज्ञ करा रहे हे तो और वामन देव एक ब्राह्मण बालक थे अतः राज बलि ने उनसे कहा हे ब्राह्मण बालक में अपने इस यज्ञ की सिद्धि के लिए आपको दान देना चाहता हु अतः आप जो चाहे में आपको दूंगा.
इस पर वामन देव ने उनसे तीन पग भूमि मांगने की बात कहि जिस पर राजा बलि हस दिए. परन्तु अपने दो पग में ही वामन देव ने पूरा आकाश एवं धरती नाप ली तथा इसके बाद उन्होंने अपना तीसरा पग राजा बलि के सर में रखा.
इस प्रकार वामन देव ने पाताल लोक का राज्य राजा बलि एवं स्वर्गलोक को पुनः इंद्र देव को दे दिया तथा अपनी माता की इच्छा पूर्ण करी.