
शनिदेव – कैसे हुआ जन्म और कैसे टेढ़ी हुई नजर
shani dev का नाम सुनते ही हम सब में एक डर की भावना आ जाती है | shani dev को बहुत की कुरुर देवता माना जाता है | पर ऐसा नही है shani dev अच्छा करने वाले को अच्छा फल देते है ओर बुरा karne वाले को बुरा फल देते है अगर साफ़ शब्दों में कहा जाए तो उन्हें न्यायधिष कहा जाता है| अगर कोई शनिदेव के कोप का शिकार है तो रूठे हुए शनिदेव को मनाया भी जा सकता है। शनि जयंती का दिन तो इस काम के लिये सबसे उचित माना जाता है। आइये जानते हैं शनिदेव के बारे में, क्या है इनके जन्म की कहानी और क्यों रहते हैं शनिदेव नाराज।
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Who is Shani dev : कौन है शनिदेव
शनिदेव के जन्म के बारे में स्कंदपुराण के काशीखंड में जो कथा मिलती वह कुछ इस प्रकार है त्रिदेवों के काल में शनि नामक भी एक देवता थे। शनि को सूर्यदेव का पुत्र माना गया है। उनकी बहन का नाम देवी यमुना और उनकी माता का नाम छाया है। उनकी पत्नी और पुत्र भी हैं। शनिदेव का किसी शनिग्रह से कोई संबंध नहीं है। शनि के जन्म के संबंध में शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य की पत्नी छाया ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या किया।
तपस्या की कठोरता और धूप-गर्मी के कारण छाया के गर्भ में पल रहे शिशु का रंग काला पड़ गया। तपस्या के प्रभाव से ही छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म शिंगणापुर में हुआ।
शास्त्रों के अनुसार हिन्दी मास ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनिदेव का जन्म रात के समय हुआ था। शनिदेव के जन्म के बाद जब सूर्य अपनी छाया और पुत्र से मिलने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि छाया का पुत्र काला है। काले शिशु को देखकर सूर्य ने इसे अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया।
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क्यों है शनिदेव की दृष्टि टेढ़ी
शनिदेव के गुस्से की एक वजह उपरोक्त कथा में सामने आयी कि माता के अपमान के कारण शनिदेव क्रोधित हुए लेकिन वहीं ब्रह्म पुराण इसकी कुछ और ही कहानी बताता है। ब्रह्म पुराण में बताया गया है की भगवान shani dev श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे | जब shani dev जवान हुए तो उनका विवाह चित्ररथ नाम की कन्या से हुआ |
चित्ररथ बहुत सती साध्वी ओर परम तेजस्वी थी परतु shani dev सदैव श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहेते थे | एक दिन जब उनकी पत्नी ऋतू स्नान करके संतान प्राप्ति की इच्छा से उनके पास आई तो shani dev उस समय भी श्री कृष्ण की भक्ति में लीन थे चित्ररथ ने उनका बहुत देर तक उनकी प्रतीक्षा की |
परतु shani dev की आखे नही खुली | ओर उनका ऋतू स्नान निष्फल हो गया | गुस्से में आकर उन्होंने shani dev की श्राप दिया की जिस की भी नजर उन पर पड़ेगी वह नष्ट हो जायगा | जब shani dev की आखे खुली तो उन्होंने आपकी पत्नी से माफ़ी भी मागी परतु कुछ नही हो सकता था | उस दिन से shani dev आपनी गर्दन निचे कर के चलते है |
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